शेयर मार्केट में ऑपरेटर कौन होता है और शेयर मार्केट को कौन चलाता है?
शेयर मार्केट में ऑपरेटर कौन होता है?
Share market में operator का मतलब होता है Stock market में वो लोग जिनके पास बहुत सारा पैसा और best resources होते हैं जिससे की वो stock market के किसी भी stock की चाल को पलट सकता है अगर वो चाहे तो, पर SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया) ऐसा होने पर रिटेल investors को बचाने के लिए Stock Market Activities की हमेशा monitoring करता रहता है
बड़े निवेशक किसी भी स्टॉक की पहले तो जबरदस्त खरीदारी करके उसके भाव को पहले ऊपर चढ़ाता है फिर अचानक से वो ही बड़े निवेशक उसी कंपनी के स्टॉक को किसी डंप कंपनी या आम निवेशकों को बेंचकर निकल जाते हैं जिससे फिर Share Market में उस कंपनी के स्टॉक का भाव गिरने लगता है | इन बड़े निवेशकों के समूह को ही शेयर मार्केट का “ऑपरेटर्स” कहा जाता है |
शेयर मार्केट को कौन चलता है?
किसी भी कंपनी को ऑनलाइन शेयर मार्केट में आने के लिए मार्केट रेगुलेटर्स सेबी (sebi – सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया), NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज), BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना पड़ता है | इसके बाद ही किसी कंपनी के शेयर्स में ट्रेडिंग हो सकती है | निवेशक जिस कंपनी के शेयर्स खरीदता है वह उस कंपनी का शेयरहोल्डर बन जाता है और यहाँ पर ये बता दे कि उसकी उस कंपनी में हिस्सेदारी उसके द्वारा खरीदे गए शेयर्स की संख्या पर निर्भर करती है
ऑपरेटर्स शेयर्स के प्राइस कैसे बढ़ाते हैं?
शेयर बाजार ऑपरेटर्स, सर्कुलर ट्रेडिंग करके उन शेयरों की कीमतें बढाकर शेयर मार्केट में कृत्रिम वॉल्यूम (आर्टिफीसियल वॉल्यूम) बनाने की कोशिश करते हैं | यह प्रक्रिया शेयर बाजार में तब तक चलती रहती है जब तक एक बड़ा वॉल्यूम न बन जाए और बाजार में उन शेयरों की कीमत काफी ना बढ़ जाए | भोली-भाली आम जनता तुरंत ज्यादा प्रॉफिट कमाने के लालच और उम्मीद में ऐसे शेयरों को ज्यादा कीमत पर खरीद लेते हैं और बड़ी हानि उठा बैठते हैं |
शेयर मार्केट ऑपरेटर्स कैसे काम करता है?
या शेयर मार्केट में ऑपरेटर्स किसी शेयर की कीमतें कैसे संचालित करते हैं?
स्टॉक मार्केट ऑपरेटर्स, शेयर बाजार में व्यापारी, निवेशक या भागीदार होते हैं जो स्टॉक की मात्रा बढ़ाकर स्टॉक की कीमत में हेरफेर करने के इरादे से व्यापार करते हैं | शेयर मार्केट ऑपरेटर्स गलत जानकारी फैलाते हैं जिसके परिणाम स्वरुप उस शेयर की कीमत में बृद्धि होती है और जब ये कीमत काफी बढ़ जाती है तो वे ये शेयर्स बेंच देते हैं जिसके परिणाम स्वरुप शेयर की कीमत गिर जाती है और छोटे निवेशकों को बड़ा नुकसान हो जाता है जिसका फायदा ये स्टॉक ऑपरेटर्स उठाते हैं |
ऑपरेटर्स वाले स्टॉक से कैसे बचें?
शेयर बाजार में ऑपरेटर्स बहुत कम कीमत वाले शेयरों में एक्टिव होते हैं इसलिए इनके झांसे में आने से बचने के लिए कभी भी कम कीमत (लो प्राइस) और कम वॉल्यूम वाले शेयरों को बिना कंपनी की मजबूत स्थिति जाने ना खरीदे | ऐसी छोटी मोटी कंपनियों जिनके शेयरों की कीमत कम हो और उनका ट्रेडिंग वॉल्यूम भी कम हो, कभी ना खरींदे |
स्टॉक मार्केट ऑपरेटर्स अपने शेयरों की करने लगते है मार्केटिंग:
स्टॉक मार्केट ऑपरेटर्स, शेयर बाजार के बड़े ही शातिर खिलाडी होते हैं | इसलिए वो छोटे निवेशकों को अपने जाल में फंसाने के लिए अपने ही शेयरों की मार्केटिंग करने लगते हैं | वे अपने शेयरों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और अन्य प्लैटफॉर्म्स पर प्रमोट करने लगते हैं | इसके लिए वो व्हाट्सप्प ग्रुप और टेलीग्राम ग्रुप्स में स्टॉक से सम्बंधित टिप्स दिए जाते हैं | ऐसा इसलिए क्योकि शेयर मार्केट के नॉलेज के आभाव में लोग यूट्यूब वीडियोस और दुसरे सोशल मीडिया पर भरोसा करके निवेशक जमकर पैसा लगाते है | ऐसे स्टॉक टिप्स के भरोसे बड़ी संख्या में रिटेल निवेशक स्टॉक मार्केट ऑपरेटरों के शेयर्स में पैसा लगाना शुरू कर देते हैं और उनके चंगुल में फंस जाते हैं |
सर्कुलर ट्रेडिंग किसे कहते हैं?
सर्कुलर ट्रेडिंग, शेयर बाजार में प्रमोटर्स और ऑपरेटरों की मिली-भगत से होने वाली प्रतिभूति धोखाधड़ी है | प्रोमोटर्स और ऑपरेटर्स आपस में मिलकर शेयरों की कीमत को गलत तरीके से चढ़ाते हैं | सबसे पहले प्रोमोटर्स और ऑपरेटर्स आपस में मिलकर सर्कुलर ट्रेडिंग का मकसद तय करते हैं | सर्कुलर ट्रेडिंग का उद्देश्य इंस्टीटूशनल निवेशकों या फिर रिटेल निवेशकों को शेयर बेचने के लक्ष्य के साथ की जाती है |