किस चीज़ की कमी के कारण कौन सा रोग होता है?

मित्रों हम सभी को किसी न किसी तरह की शारीरिक समस्याएं होती है लेकिन हम इसका सही कारण समझ नहीं पाते हैं किस चीज की कमी के कारण कौन सा रोग होता है कुछ समय के लिए हम इसे छोटी समस्या समझकर अनदेखा कर देते हैं और जब बाद में तकलीफ देने वाली हो जाती है तब हम किसी डॉक्टर के जाने का निश्चय करते हैं और तब हमें पता लगता है कि हमें कुछ पोषक तत्वों की कमी के कारण इस समस्या का सामना करना पड़ा तब हम डॉक्टर के परामर्श अनुशार दवाइयां लेने लगते हैं

क्या हो अगर आपको हम उन सामान्य बीमारियों के लक्षणों के बारे में अवगत करा दें, तो कितना अच्छा होगा आपके लिए, अब आप नीचे दी गयी जानकारी को पढ़कर, आप समझ पाएंगे कि वह लक्षण आपकी शरीर में कौन सी बीमारी की ओर ले जा रहा है:

किस चीज की कमी के कारण कौन सा रोग होता है

१.रोगी के रोग की चिकित्सा करने वाले निकृष्ट , रोग के कारणों की चिकित्सा करने वाले औसत और रोग-मुक्त रखने वाले श्रेष्ठ चिकित्सक होते हैं…….अष्ट्रांग ह्रदयम्

२. लकवा – सोडियम की कमी के कारण होता है ।

३. हाई वी पी में – स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।

४. लो वी पी – सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।

५. कूबड़ निकलना- फास्फोरस की कमी ।

६. कफ – फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है गुड व शहद खाएं

७. दमा, अस्थमा – सल्फर की कमी ।

८. सिजेरियन आपरेशन – आयरन , कैल्शियम की कमी ।

९. सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें ।

१०. अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें ।

११. जम्भाई – शरीर में आक्सीजन की कमी ।

१२. जुकाम – जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।

१३. ताम्बे का पानी – प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।

१४. किडनी – भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।

१५. गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है ।

१६. अस्थमा , मधुमेह , कैसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।

१७. वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।

१८. परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।

१९. पथरी – अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।

२०. RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे बेहतर है ।

२१. सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।

२२. पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।

२३. भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।

२४. HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।

२५. गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।

२६. चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है ।

२७. शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।

२८. वात के असर में नींद कम आती है ।

२९. कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।

३०. कफ के असर में पढाई कम होती है ।

३१. पित्त के असर में पढाई अधिक होती है ।

३२. योग-प्राणायाम- कफ प्रवृति वालों को नहीं करना चाहिए , वात प्रवृति वालों को थोडा, पित्त प्रवृति वालों को ज्यादा करना चाहिए ।

३३. आँखों के रोग – कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।

३४. शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिए ।

३५. पित्त प्रवृति वालों को प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए ।

अगले हिस्से में कुछ और भी बहुत कुछ बीमारियों के बारें में जानेंगें…

 

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